कल 23 जून 2020 को #पतंजलि ने #कोरोना की औषधि #कोरोनिल बना लेने और परीक्षण में सफल होने का दावा किया। लेकिन आयुर्वेद के सफल प्रयास को न पचाने वाला समूह उसके पीछे पड़ गया...आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने भी इसका प्रचार रोकने का आदेश जारी किया। उनको क्लिनिकल ट्रायल से लेकर सबका सबूत देना होगा, फिर उसका कई तरीके का परीक्षण होगा। हमारा मानना है कि इसे सकारात्मक तरीके से लिया जाए। जो भी जांच परीक्षण करना है तेजी से हो। आयुर्वेद का परीक्षण एलोपैथी तरीके से नहीं हो सकता। जिनको विश्वास है उनको खरीदने से नहीं रोका जाना चाहिए...
हां, एक बड़ा पहलू जरूर देखे क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट तो कम से कम नहीं है.... लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि अगर यह दवा कारगर साबित हो गई तो पूरी दुनिया भारतीय चिकित्सा पद्धति #आयुर्वेद की ओर मुड़ेगी। इसे इस रुप में देखिए। हमारे देश में अपनी ही विद्या का उपहास उड़ाने की आत्मघाती मानसिकता है। पतंजलि और #स्वामी_रामदेव का भी उपहास उड़ाया जा रहा है। एलोपैथ ने कोरोना के लिए कई महंगी दवाइयां सामने लाईं जिनसे ठीक होने की गारंटी तक नहीं तथा उनके बहुत से साइड इफ़ेक्ट भी है फिर भी उनका किसी ने उपहास नहीं उड़ाया। अपने देश में कुछ श्रेष्ठ करने की कोशिश हो रही है तो उस पर गर्व करना, उसका समर्थन करना हम कब सीखेंगे ?
पतंजलि को एक सप्ताह का समय देने में क्या समस्या है?
कौन नहीं जानता कि इस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़े माफ़ियाओं का कब्जा है। #मन्त्रालय से ले कर #नियामक_संस्थाओं तक में दवा माफ़ियाओं के एजेंट बैठे हुए हैं।
किस आधार पर #Hydroxychloroquine का उपयोग और निर्यात किया गया? किस आधार पर #plasma_therapy की स्वीकृति दी गयी। किस आधार पर #ग्लेनमार्क को दवा बनाने की अनुमति दे दी गई लेकिन #रामदेवजी द्वारा निर्मित आयुर्वेद की दवा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया जाए बस।
कोरोना वायरस के आयुर्वेदिक उपचार एवं सफल अनुसंधान का संक्षिप्त विवरण जो - #आचार्यबालकृष्ण जी ने प्रमाणों व सबूत के साथ रखा वो एक बार आप भी देखे फिर निर्णय करे....
जिन्हें ₹ 535/- वाली आयुर्वेद दवाई पर भरोसा नही हो...
वो 28000/ हजार प्रतिदिन वाला बैड बुक कराने के लिए स्वतंत्र है...