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शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............अश्विन
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........षष्ठी
वार..............शुक्रवार
दिनांक...........४-१०-२०१९



विक्रम संवत...........२०७६
मास.............अश्विन
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........षष्ठी
वार..............शुक्रवार
दिनांक...........४-१०-२०१९




🙏🏽 🚩 जय त्रिपुरा सुंदरी 🚩

            सुविचार
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" महान विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान कृतियां बन जाते हैं।"
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" महान विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान कृतियां बन जाते हैं।"

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

लघुकथा

मैं पैदल घर आ रहा था । रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था । पास जाकर देखा, लिखा था:  

कृपया पढ़ें

"इस रास्ते पर मैंने कल एक 50 का नोट गंवा दिया है । मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता । जिसे भी मिले कृपया इस पते पर दे सकते हैं ।" ...

यह पढ़कर पता नहीं क्यों उस पते पर जाने की इच्छा हुई । पता याद रखा । यह उस गली के आखिरी में एक घऱ था । वहाँ जाकर आवाज लगाया तो एक वृद्धा लाठी के सहारे धीरे-धीरे बाहर आई । मुझे मालूम हुआ कि वह अकेली रहती है । उसे ठीक से दिखाई नहीं देता ।

"माँ जी", मैंने कहा - "आपका खोया हुआ 50 मुझे मिला है उसे देने आया हूँ ।"

यह सुन वह वृद्धा रोने लगी ।

"बेटा, अभी तक करीब 50-60 व्यक्ति मुझे 50-50 दे चुके हैं । मै पढ़ी-लिखी नहीं हूँ, । ठीक से दिखाई नहीं देता । पता नहीं कौन मेरी इस हालत को देख मेरी मदद करने के उद्देश्य से लिख गया है ।"

बहुत ही कहने पर माँ जी ने पैसे तो रख लिए । पर एक विनती की - ' बेटा, वह मैंने नहीं लिखा है । किसी ने मुझ पर तरस खाकर लिखा होगा । जाते-जाते उसे फाड़कर फेंक देना बेटा ।'मैनें हाँ कहकर टाल तो दिया पर मेरी अंतरात्मा ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन 50-60 लोगों से भी "माँ" ने यही कहा होगा । किसी ने भी नहीं फाड़ा ।जिंदगी मे हम कितने सही और कितने गलत है, ये सिर्फ दो ही शक्स जानते है..
परमात्मा और अपनी अंतरआत्मा..!! मेरा हृदय उस व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता से भर गया । जिसने इस वृद्धा की सेवा का उपाय ढूँढा । सहायता के तो बहुत से मार्ग हैं , पर इस तरह की सेवा मेरे हृदय को छू गई । और मैंने भी उस कागज को फाड़ा नहीं ।मदद के तरीके कई हैं सिर्फ कर्म करने की तीव्र इच्छा मन मॆ होनी चाहिए
🌿
                 *कुछ नेकियाँ*
                    *और*

                *कुछ अच्छाईयाँ ..*

  *अपने जीवन में ऐसी भी करनी चाहिए,*

          *जिनका ईश्वर के सिवाय..*

          *कोई और गवाह  ना हो...!!*

सोमवार, 23 सितंबर 2019

लगुकथा

एक राजा था,,,उसने एक सर्वे करने का सोचा कि
मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थी पति से चलती है या पत्नी से...??
🤷🏻‍♂🤷🏻‍♂

उसने एक ईनाम रखा कि "  जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो, उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नी की चलती है वह एक सेब ले जाए.. ।
🐴🍎

एक के बाद एक सभी नगरवासी सेब उठाकर जाने लगे ।
राजा को चिंता होने लगी.. क्या मेरे राज्य में सभी घरों में पत्नी का हुक्म चलता है,,🤔🤔
इतने में एक लम्बी लम्बी मुछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल लाल आखोंवाला जवान आया और बोला.....
" राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है .. घोडा़ मुझे दीजिए .."

राजा खुश हो गए और कहा जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जाओ..चलो कोई एक घर तो मिला जहाँ पर आदमी की चलती है 😀😀
जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया ।
!
घर गया और फिर थोडी़ देर में घोडा लेकर दरबार में वापिस लौट आया।
!
राजा: "क्या हुआ जवाँ मर्द...??? वापिस क्यों आ गये..??"
!
जवान : " महाराज,मेरी घरवाली कह रही है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतिक होता है आप सफेद रंग वाला घोडा लेकर आओ... इसलिए आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दीजिए।
!
राजा: अच्छा... "घोडा़ रख ..और सेब लेकर चलता बन,,,
!
इसी तरह रात हो गई ...दरबार खाली हो गया,, लोग सेब लेकर चले गए ।
!
आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया,,,
!
राजा : "बोलो महामंत्री कैसे आना हुआ...???"
!
महामंत्री : " महाराज आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा है,इसकी जगह अगर एक मण अनाज या सोना वगेरहा रखा होता तो लोग  कुछ दिन खा सकते या जेवर बना सकते थे,,,
!
राजा : "मैं भी ईनाम में यही रखना चाह रहा था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा,,,,
!
महामंत्री : " महाराज आपके लिए सेब काट दूँ..!!!😊😊😂😂
!
राजा को हँसी आ गई और पूछा यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पूछ सकते थे आप आधी रात को ही क्यों आये.. ???
!
महामंत्री: "महाराज,मेरी धर्मपत्नी ने कहा अभी जाओ और अभी पूछ के आओ,,,सच्ची घटना का पता तो चले।
!
राजा ( बात काटकर ): "महामंत्री जी, सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए ।"
!
*Moral Of The Story...*
*समाज चाहे जितना भी पुरुष प्रधान हो लेकिन*
*संसार स्त्री प्रधान ही है..!!*

*दोस्तो आप सेब यहीं खाओगे या घर ले जाओगे।*😊😊😊😁😁😁😂😂😂

मंगलवार, 10 सितंबर 2019

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............भाद्रपद
पक्ष..............शुक्ल
तिथि............द्वादशी
वार..............मंगलवार
दिनांक...........१०-९-२०१९



🙏🏽 🚩 जय श्री राम 🚩

सुविचार:⏩ " अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है।"

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

खाली पेट -​ (लघुकथा)

लगभग दस साल का बालक राधा का गेट बजा रहा है।
राधा ने बाहर आकर पूंछा
"क्या है ? "
"माता जी क्या मैं आपका बगीचा साफ कर दूं ?"
"नहीं, हमें नहीं करवाना।"
हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में "कृपया माता जी करा लीजिये न, अच्छे से साफ करूंगा।"
द्रवित होते हुए "अच्छा ठीक है, कितने पैसा लेगा ?"
"पैसा नहीं माताजी, खाना दे देना।"

" ओह !! अच्छे से काम करना।"
"लगता है, बेचारा भूखा है।पहले खाना दे देती हूँ। राधा बुदबुदायी।"
"ऐ
लड़के ! पहले खाना खा ले, फिर काम करना।

"नहीं माताजी, पहले काम कर लूँ फिर आप खाना दे देना।"
"ठीक है ! कहकर राधा अपने काम में लग गयी।"
एक घंटे बाद "माता जी देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई कि नहीं।"

"अरे वाह! तूने तो बहुत बढ़िया सफाई की है, गमले भी पंक्ति से जमा दिए। यहाँ बैठ, मैं खाना लाती हूँ।"
जैसे ही राधा ने उसे खाना दिया वह जेब से पन्नी निकाल कर उसमें खाना रखने लगा।"

"भूखे काम किया है, अब खाना तो यहीं बैठकर खा ले। जरूरत होगी तो और दे दूंगी।"
"नहीं माताजी, मेरी बीमार माँ घर पर है। सरकारी अस्पताल से दवा तो मिल गयी है,पर डाॅ साहब ने कहा है दवा खाली पेट नहीं खाना है।"

राधा रो पड़ी....
और अपने हाथों से मासूम को उसकी दूसरी माँ बनकर खाना खिलाया।
फिर... उसकी माँ के लिए रोटियां बनाई .. और साथ उसके घर जाकर उसकी माँ को रोटियां दे आयी...
और कह आयी .. बहन आप बहुत अमीर हो....

जो दौलत आपने अपने बेटे को दी है वो हम अपने बच्चो को भी नहीं दे पाते ..
*खुद्धारी की* ...।