सोनाक्षी सिन्हा पर तो हँस रहे है पर कान्वेंट में जाने वाली हमारी अपनी संताने भी सोनाक्षी बन रही हैं।
अपना घर साफ करे हिन्दू वीरों, सोनाक्षी पर हँस के बस लाईक मिलेंगे पर अपना घर सुधारने पर दोनों लोक सुधर जायेंगे।
जरा अपनी संतानों से पूछ लो, जटायु कौन हैं, मंदोदरी कौन हैं, अगस्त्य कौन हैं, शिखण्डी कौन हैं, अम्बा कौन हैं, शकुंतला कौन हैं, विश्वामित्र कौन हैं, तारा, अहिल्या कौन हैं, मामा शल्य किसके मामा थे, पाण्डवों ने कौन से पाँच गाँव माँगे थे.?
अगर इसका तीस प्रतिशत भी सही उत्तर मिलता है तो हमारे बच्चे सही दिशा में हैं, पचास से ऊपर मतलब धर्म की शिक्षा अच्छी चल रही है, 80 से ऊपर मतलब बच्चे का खुद का भी झुकाव हैं इन बातों में (और ये झुकाव आपका ही बनाया होता है, वो वही दुनिया देखेंगे जो आप दिखायेंगे)
जैसे ही बच्चा रोना शुरू किया, ले बेटे मोबाईल देख करके अपने पालक होने के कर्त्तव्य से पीछा छुड़ाने वाले भी सोनाक्षी पर हँसने लायक हो गये हैं। वो जिस क्षेत्र में काम करती है वहाँ ठीक ठाक कर रही है, आप अपना घर सम्भालो।
ले बेटे मोबाईल देख करने के बजाये उसको बोलो कि इधर आजा बच्चे आज प्रह्लाद की कहानी सुनाऊँगा, आज गुरुभक्त आरुणि की, आज रानी दुर्गावती, रानी चेन्नम्मा के अद्भुत साहस और बलिदान की कहानी सुनेंगे।
यदि ऐसा नहीं करते है तो सोनाक्षी पर हँसने के बजाये अपने भविष्य पर रो लेना क्योंकि हमसे पैदा हुई सन्तान हमारी नहीं रहेगी, किसी और सभ्यता की गुलाम हो जाएगी।
अत्यंत विचारणीय.......🤔