बर्तन से पूरी तरह पोंछ कर खाना खाने वाले एक बालक के दोस्त उसका रोज मज़ाक उडाते थे...
एक ने उस बालक के दोस्त ने पूछा- "तुम रोजाना बर्तन में एक कण भी क्यों नही छोड़ते...?
बालक बोला इसके 3 कारण है।
1. यह मेरे पिता के प्रति आदर है, जो इस भोजन को मेहनत से कमाए रूपयों से खरीद कर लाते हैं।
2. ये मेरी माँ के प्रति आदर है जो सुबह जल्दी उठकर बडे चाव से इसे पकाती हैं।
3. यह आदर मेरे देश के उन किसानो के प्रति है, जो खेतो में भूखे रहकर कड़ी मेहनत से इसे पैदा करते हैं।"
इसलिए थाली में झूठा छोड़ना अपनी शान ना समझें
||खाना खाओ मनभर - ना छोडो कणभर||
उतना ही ले थाली में...
व्यर्थ ना जाए नाली में.।