शनिवार, 9 नवंबर 2019

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............कार्तिक
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........द्वादशी
वार..............शनिवार
दिनांक...........९-११-२०१९






🙏🏽 🍁 सुप्रभातम् 🍁

 सुविचार:➡ "हम अपने काम में सुन्दरता तलाशे, उससे सुंदर ओर कुछ हों ही नहीं सकता।"

शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............कार्तिक
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........एकादशी
वार..............शुक्रवार
दिनांक...........८-११-२०१९






🙏🏽🌷 शुभम मंगल 🌷

 सुविचार:👉 " हम अच्छा कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त ना पूछे।"

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............कार्तिक
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........दशमी
वार..............गुरूवार
दिनांक...........७-११-२०१९






🙏🏽 🌺 भारत माता की जय 🌺

 सुविचार:⏩ " प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है।"

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............कार्तिक
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........नवमी
वार..............बुधवार
दिनांक...........६-११-२०१९






🙏🏽 🌸 वंदे मातरम् 🌸

 सुविचार:↔ " पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है।"

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............कार्तिक
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........आंवला नवमी
वार..............मंगलवार
दिनांक...........५-११-२०१९






🙏🏽 🚩 जय श्री राम 🚩

 सुविचार:▶ " काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।"

सोमवार, 4 नवंबर 2019

सुविचार

विक्रम संवत...........२०७६
मास.............कार्तिक
पक्ष..............शुक्ल
तिथि...........अष्टमी
वार..............सोमवार
दिनांक...........४-११-२०१९






🙏🏽 🕉 हर हर महादेव 🕉

 सुविचार:- " हम से हो सके, वह काम हमें दूसरे से न करवाना चाहिये।"

शनिवार, 2 नवंबर 2019

अयोध्या श्री राम मंदिर

ईसा से लगभग सौ वर्ष पहले उज्जैन के राजा विक्रमादित्य अयोध्या पहुंचे थे। तब तक अयोध्या उजड़ चुकी थी। यहाँ उनकी भेंट तीर्थराज प्रयाग से हुई। तीर्थराज ने उन्हें अयोध्या और सरयू के बारे में बताया। विक्रमादित्य ने अपनी उलझन बताते हुए कहा उजड़ी हुई अयोध्या की सीमा और क्षेत्रफल के बारे में कैसे पता चलेगा। उन्होंने कहा 'गवाक्ष कुंड के पश्चिम तट पर एक रामनामी वृक्ष लगा है। ये वृक्ष अयोध्या की परिधि नापने के लिए लगाया गया था। इस वृक्ष के एक मील के घेरे में एक नवप्रसूता गौ को घुमाओ। जिस स्थान पर उसके स्तनों से दूध की धारा गिरने लगे, समझना वही राम की जन्मभूमि है।' विक्रमादित्य ने ठीक ऐसा ही किया। राम जन्मभूमि पर खुर रखते ही गौ माता के स्तनों से दूध की धारा फूट पड़ी। नवप्रसूता गाय का दूध जहाँ पर गिरा था, ठीक उसी स्थान पर उन्होंने श्री राम मंदिर का निर्माण करवाया। (फोटो में) बाबरी विध्वंस के बाद 'कसौटी के पत्थर से बने स्तम्भ' प्राप्त हुए थे।  बाबर के हुक्मनामों के अनुसार उसके सेनापति मीरबाकी ने जब राम मंदिर तोडक़र बाबरी मस्जिद बनवानी शुरू की तो उनको बड़ी परेशानी होती थी। दिन में मस्जिद की दीवार खड़ी की जाती थी और रात को हिन्दुओं द्वारा गिरा दी जाती थी। लखनऊ गजेटियर के भाग 36 पृष्ठ 3 पर लिखा है-'जन्मभूमि के मंदिर को गिराये जाने के समय हिंदुओं ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी और एक लाख 73 हजार हिंदुओं की लाशें गिर जाने के बाद मीर बाकी ने तोप से मंदिर को गिरा दिया। 23 मार्च 1528 को राम मंदिर तोड़ दिया गया था।'

'याद दिलाना जरुरी है ये कथा। चार बार उजड़ चुकी अयोध्या की रौनक लौटाने के लिए भारत को पुनः एक 'विक्रमादित्य' की आवश्यकता है। वह रामनामी वृक्ष सैकड़ों वर्ष पूर्व नष्ट हो गया लेकिन उसकी असंख्य जड़ें पीढ़ी दर पीढ़ी रक्त के साथ प्रवाहमान है। विश्व के सौ करोड़ हिन्दू हृदयों के अंदर लहलहा रही ये जड़े अब बाहर निकलकर फूटना चाहती हैं।

पूज्य गुरुदेव स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती जी द्वारा