विक्रम संवत...........२०७६
मास..............आषाढ
पक्ष..............कृष्ण
तिथि............एकादशी
वार..............शनिवार
दिनांक...........२९-६-२०१९
🙏🏽 🌺 शुभम मंगल 🌺
सुविचार:↔ "धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते।"
सुविचार इस शब्द में ही विचार आता है विचारों की इस बदलती श्रृंखला में ओर बदलते दौर में हमे सुविचार के माध्यम से कुछ कर दिखाने की प्रेरणा मिलती है हमारे लिए प्रेरणादायक होंगे.. सुविचार – Suvichar पढ़ने के बाद हमारे मन को एक नयी उर्जा मिलती है, जो हमें हमारे सभी काम सकारात्मक उर्जा के साथ करने के लिए प्रेरित करती है यदि आपको मेरी पोस्ट अछि लगती है तो फॉलो करें ।
विक्रम संवत...........२०७६
मास..............आषाढ
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तिथि............एकादशी
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🙏🏽 🌺 शुभम मंगल 🌺
सुविचार:↔ "धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते।"
विक्रम संवत...........२०७६
मास..............आषाढ
पक्ष..............कृष्ण
तिथि............एकादशी
वार..............शुक्रवार
दिनांक...........२८-६-२०१९
🙏🏽 💐 सुप्रभातम् 💐
सुविचार:▶ " जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है।"
विक्रम संवत...........२०७६
मास..............आषाढ
पक्ष..............कृष्ण
तिथि............दशमी
वार..............गुरूवार
दिनांक...........२७-६-२०१९
🙏🏽 🌷 भारत माता की जय 🌷
सुविचार:⏩ " धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते।"
'Mind set'
आजकल लोगों की एक सोच बन गई है कि राजपूतों ने लड़ाई तो की, लेकिन वे एक हारे हुए योद्धा थे, जो कभी अलाउद्दीन से हारे, कभी बाबर से हारे, कभी अकबर से, कभी औरंगज़ेब से...
क्या वास्तव में ऐसा ही है ?
यहां तक कि समाज में भी ऐसे कईं राजपूत हैं, जो महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान आदि योद्धाओं को महान तो कहते हैं, लेकिन उनके मन में ये हारे हुए योद्धा ही हैं
महाराणा प्रताप के बारे में ऐसी पंक्तियाँ गर्व के साथ सुनाई जाती हैं :-
"जीत हार की बात न करिए, संघर्षों पर ध्यान करो"
"कुछ लोग जीतकर भी हार जाते हैं, कुछ हारकर भी जीत जाते हैं"
असल बात ये है कि हमें वही इतिहास पढ़ाया जाता है, जिनमें हम हारे हैं
मेवाड़ के राणा सांगा ने 100 से अधिक युद्ध लड़े, जिनमें मात्र एक युद्ध में पराजित हुए और आज उसी एक युद्ध के बारे में दुनिया जानती है, उसी युद्ध से राणा सांगा का इतिहास शुरु किया जाता है और उसी पर ख़त्म
राणा सांगा द्वारा लड़े गए खंडार, अहमदनगर, बाड़ी, गागरोन, बयाना, ईडर, खातौली जैसे युद्धों की बात आती है तो शायद हम बता नहीं पाएंगे और अगर बता भी पाए तो उतना नहीं जितना खानवा के बारे में बता सकते हैं
भले ही खातौली के युद्ध में राणा सांगा अपना एक हाथ व एक पैर गंवाकर दिल्ली के इब्राहिम लोदी को दिल्ली तक खदेड़ दे, तो वो मायने नहीं रखता, बयाना के युद्ध में बाबर को भागना पड़ा हो तब भी वह गौण है
मायने रखता है तो खानवा का युद्ध जिसमें मुगल बादशाह बाबर ने राणा सांगा को पराजित किया
सम्राट पृथ्वीराज चौहान की बात आती है तो, तराईन के दूसरे युद्ध में गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया
तराईन का युद्ध तो पृथ्वीराज चौहान द्वारा लडा गया आखिरी युद्ध था, उससे पहले उनके द्वारा लड़े गए युद्धों के बारे में कितना जानते हैं हम ?
इसी तरह महाराणा प्रताप का ज़िक्र आता है तो हल्दीघाटी नाम सबसे पहले सुनाई देता है
हालांकि इस युद्ध के परिणाम शुरु से ही विवादास्पद रहे, कभी अनिर्णित माना गया, कभी अकबर को विजेता माना तो हाल ही में महाराणा को विजेता माना
बहरहाल, महाराणा प्रताप ने गोगुन्दा, चावण्ड, मोही, मदारिया, कुम्भलगढ़, ईडर, मांडल, दिवेर जैसे कुल 21 बड़े युद्ध जीते व 300 से अधिक मुगल छावनियों को ध्वस्त किया
महाराणा प्रताप के समय मेवाड़ में लगभग 50 दुर्ग थे, जिनमें से तकरीबन सभी पर मुगलों का अधिकार हो चुका था व 26 दुर्गों के नाम बदलकर मुस्लिम नाम रखे गए, जैसे उदयपुर बना मुहम्मदाबाद, चित्तौड़गढ़ बना अकबराबाद
फिर कैसे आज उदयपुर को हम उदयपुर के नाम से ही जानते हैं ?... ये हमें कोई नहीं बताता
असल में इन 50 में से 2 दुर्ग छोड़कर शेष सभी पर महाराणा प्रताप ने विजय प्राप्त की थी व लगभग सम्पूर्ण मेवाड़ पर दोबारा अधिकार किया था
दिवेर जैसे युद्ध में भले ही महाराणा के पुत्र अमरसिंह ने अकबर के काका सुल्तान खां को भाले के प्रहार से कवच समेत ही क्यों न भेद दिया हो, लेकिन हम तो सिर्फ हल्दीघाटी युद्ध का इतिहास पढ़ेंगे, बाकी युद्ध तो सब गौण हैं इसके आगे!!!!
महाराणा अमरसिंह ने मुगल बादशाह जहांगीर से 17 बड़े युद्ध लड़े व 100 से अधिक मुगल चौकियां ध्वस्त कीं, लेकिन हमें सिर्फ ये पढ़ाया जाता है कि 1615 ई. में महाराणा अमरसिंह ने मुगलों से संधि की | ये कोई नहीं बताएगा कि 1597 ई. से 1615 ई. के बीच क्या क्या हुआ |
महाराणा कुम्भा ने 32 दुर्ग बनवाए, कई ग्रंथ लिखे, विजय स्तंभ बनवाया, ये हम जानते हैं, पर क्या आप उनके द्वारा लड़े गए गिनती के 4-5 युद्धों के नाम भी बता सकते हैं ?
महाराणा कुम्भा ने आबू, मांडलगढ़, खटकड़, जहांजपुर, गागरोन, मांडू, नराणा, मलारणा, अजमेर, मोडालगढ़, खाटू, जांगल प्रदेश, कांसली, नारदीयनगर, हमीरपुर, शोन्यानगरी, वायसपुर, धान्यनगर, सिंहपुर, बसन्तगढ़, वासा, पिण्डवाड़ा, शाकम्भरी, सांभर, चाटसू, खंडेला, आमेर, सीहारे, जोगिनीपुर, विशाल नगर, जानागढ़, हमीरनगर, कोटड़ा, मल्लारगढ़, रणथम्भौर, डूंगरपुर, बूंदी, नागौर, हाड़ौती समेत 100 से अधिक युद्ध लड़े व अपने पूरे जीवनकाल में किसी भी युद्ध में पराजय का मुंह नहीं देखा
चित्तौड़गढ़ दुर्ग की बात आती है तो सिर्फ 3 युद्धों की चर्चा होती है :-
1) अलाउद्दीन ने रावल रतनसिंह को पराजित किया
2) बहादुरशाह ने राणा विक्रमादित्य के समय चित्तौड़गढ़ दुर्ग जीता
3) अकबर ने महाराणा उदयसिंह को पराजित कर दुर्ग पर अधिकार किया
क्या इन तीन युद्धों के अलावा चित्तौड़गढ़ पर कभी कोई हमले नहीं हुए ?
इस तरह राजपूतों ने जो युद्ध हारे हैं, इतिहास में हमें वही पढ़ाया जाता है
बहुत से लोग हमें नसीहत देते हैं कि तुम राजपूतों के पूर्वजों ने सही रणनीति से काम नहीं लिया, घटिया हथियारों का इस्तेमाल किया इसीलिए हमेशा हारे हो
अब उन्हें किन शब्दों में समझाएं कि उन्हीं हथियारों से हमने अनगिनत युद्ध जीते हैं, मातृभूमि का लहू से अभिषेक किया है, सैंकड़ों वर्षों तक विदेशी शत्रुओं की आग उगलती तोपों का अपनी तलवारों से सामना किया है
साथ ही सभी भाइयों से निवेदन करूंगा कि आप अपने महापुरुषों के बारे में वास्तविक इतिहास पढिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां हमें वही समझे, जो वास्तव में हम थे!
विक्रम संवत...........२०७६
मास..............आषाढ
पक्ष..............कृष्ण
तिथि............नवमी
वार..............बुधवार
दिनांक...........२६-६-२०१९
🙏🏽 🌸 वंदे मातरम् 🌸
सुविचार:👉 " धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है।"
विक्रम संवत...........२०७६
मास..............आषाढ
पक्ष..............कृष्ण
तिथि............अष्टमी
वार..............मंगलवार
दिनांक...........२५-६-२०१९
🙏🏽 🚩 जय श्री राम 🚩
सुविचार
👇
" अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है।"
बहन बेटी पर एक छोटी लघु कथा
जरूर 2 मिनट का समय जरूर निकले
Prince ??????
*_पिताजी जोर से चिल्लाते हैं ।_*
प्रिंस दौड़कर आता है पूछता है...
क्या बात है पिताजी?
*पिताजी-* तूझे पता नहीं है आज तेरी बहन रश्मि आ रही है? वह इस बार हम सभी के साथ अपना जन्मदिन मनायेगी..अब जल्दी से जा और अपनी बहन को लेके आ।
हाँ और सुन...तू अपनी नई गाड़ी लेके जा जो तूने कल खरीदी है..उसे अच्छा लगेगा।
*प्रिंस -* लेकिन मेरी गाड़ी तो मेरा दोस्त ले गया है सुबह ही...और आपकी गाड़ी भी ड्राइवर ये कहके ले गया की गाड़ी की ब्रेक चेक करवानी है।
*पिताजी -* ठीक है तो तू स्टेशन तो जा कीसी की गाड़ी या किराया की करके? उसे बहुत खुशी मिलेगी ।
*प्रिंस -* अरे वह बच्ची है क्या जो आ नहीं सकेगी ?
टैक्सी या आटो लेकर आ जायेगी आप चिंता क्यों करते हो ....
*पिताजी -* तूझे शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए ?
घर मे गाडी़यां होते हुए भी घर की बेटी किसी टैक्सी या आटो से आयेगी ?
*प्रिंस -* ठीक है आप जाओ मुझे बहुत काम है मैं नहीं जा सकता...
*पिताजी -* तूझे अपनी बहन की थोड़ी भी फिकर नहीं ?
शादी हो गई तो क्या बहन पराया हो गई ....
क्या उसे हम सबका प्यार पाने का हक नहीं ?
तेरा जितना अधिकार है इस घर में उतना ही तेरी बहन का भी है। कोई भी बेटी या बहन मायके छोड़ने के बाद वह पराया नहीं होती।
*प्रिंस -* मगर मेरे लिए वह पराया हो चुकी है और इस घर पे सिर्फ मेरा अधिकार है।
तडाक ...अचानक पिताजी का हाथ उठ जाता है प्रिंस पर...
और तभी माँ भी आ जाती है ।
*मम्मी -* आप कुछ शरम तो कीजिये ऐसे जवान बेटे पर हाथ नहीं उठाते।
*पिताजी -* तुमने सुना नहीं इसने क्या कहा ? अपनी बहन को पराया कहता है ....
ये वही बहन है जो इससे एक पल भी जुदा नहीं होती थी हर पल इसका ख्याल रखती थी।
पाकेट मनी से भी बचाकर इसके लिए कुछ न कुछ खरीद देती थी। बिदाई के वक्त भी हमसे ज्यादा अपने भाई से गले लगकर रोई थी।
और ये आज उसी बहन को पराया कहता है।
*प्रिंस -*(मुस्कुराके) बुआ का भी तो आज ही जन्मदिन है पापा...
वह कई बार इस घर मे आई है मगर हर बार आटो से आई है..
आपने कभी भी अपनी गाड़ी लेकर उन्हें लेने नहीं गये...
माना वह आज वह तंगी मे है मगर कल वह भी बहुत अमीर थी आपको मुझको इस घर को उन्होंने दिल खोलकर सहायता और सहयोग किया है।
बुआ भी इसी घर से बिदा हुई थी फिर *रश्मि दी और बुआ मे फर्क कैसा।*
रश्मि मेरी बहन है तो बुआ भी तो आपकी बहन है।
कि तभी बाहर गाड़ी रूकने की आवाज आती है....
तब तक पापा प्रिंस की बातों से पश्चाताप की आग मे जलकर रोने लगे और इधर रश्मि भी दौड़कर पापा मम्मी से गले मिलती है.. लेकिन उनकी हालत देखकर पूछती है कि क्या हुआ पापा?
*पापा -* तेरा भाई आज मेरा भी पापा बन गया है ।
*रश्मि -* भाई की तरफ देखते हुए ऐ पागल...
नई गाड़ी न? बहुत ही अच्छी है... मैंने ड्राइवर को पीछे बिठाकर खुद चलाके आई हूँ और कलर भी मेरी पसंद का है।
*प्रिंस -* happy birthday to you दी...वह गाड़ी आपकी है और हमारे तरफ से आपको birthday gift..
बहन सुनते ही खुशी से उछल पड़ती है की तभी बुआ भी अंदर आती है ।
*बुआ -* क्या भैया आप भी न, ???
न कोई फोन न कोई खबर अचानक भेज दी गाड़ी..... भागकर आई हूँ खुशी से।
ऐसा लगा जैसे पापा आज भी जिंदा हैं...
*इधर पिताजी अपनी पलकों मे आंसु लिये प्रिंस की ओर देखते हैं और प्रिंस पापा को चुप रहने को इशारा करता है।*
इधर बुआ कहती जाती है कि मैं कितनी भाग्यशाली हूँ कि मुझे पिता जैसा भैया मिला,
ईश्वर करे मुझे हर जन्म मे आप ही भैया मिले...
पापा मम्मी को पता चल गया था कि ...
ये सब प्रिंस की करतूत है मगर आज फिर एक बार रिश्तों को मजबूती से जुड़ते देखकर वह अंदर से खुशी से टूटकर रोने लगे। उन्हें अब पूरा यकीन था कि ..
मेरे जाने के बाद भी मेरा प्रिंस रिश्तों को सदा हिफाजत से रखेगा,.....
*_बेटी और बहन दो बेहद अनमोल शब्द हैं..._*
*_जिनकी उम्र बहुत कम होती है । क्योंकि शादी के बाद एक बेटी और बहन किसी की पत्नी तो किसी की भाभी और किसी की बहू बनकर रह जाती है।_*
शायद लड़कियाँ इसलिए मायके आती होंगी कि....
*उन्हें फिर से बेटी और बहन शब्द सुनने को बहुत मन करता होगा ।*
🌹🙏🙏🌹