*🔥 ओ३म् 🔥*
*शिवजी ने कभी भांग नहीं पी परन्तु शिवजी को भक्तों ने भांग पीनेवाला बना दिया, श्रीकृष्ण जी ने कभी ब्रह्मचर्य का हनन नहीं किया परन्तु भक्तों ने उनको _गोपियों के साथ रास रचाने वाला_ बताकर दुराचारी बना दिया, श्रीराम ने पत्नी को गर्भवती सीता माता को वन में ऋषि वशिष्ठ इसलिए छोड़ा जिससे पवित्र विचार यज्ञमय वातावरण में बने रहें व बच्चों को अच्छे संस्कार मिलें, जो राजमहल के विलास पूर्ण वातावरण में सम्भव नहीं थे, परन्तु भक्तों ने श्रीराम पर पत्नी को वन में छोड़ने का लांछन लगाया। मैं भक्तों से पूछता हूँ कि क्या किसी ईसाई, या मुस्लिम या सिख ने अपने महापुरुषों या गुरुओं का इस प्रकार अपमान किया? क्या हिन्दू जाति इस प्रकार अपने महापुरुषों का अपमान करके सुखी रहेगी? कदापि नहीं। चाहिए तो था कि अपने महापुरुषों के _उत्तम चरित्र_ को देश, समाज में प्रदर्शित करते, परन्तु इसके विपरीत उन पर अनेक प्रकार के लांछन लगाये हैं जिससे विधर्मियों को भी हमारे महापुरुषों को अपमानित करने का बल मिलता है। अतः अपने महापुरुषों के वैदिक उत्तम चरित्र को प्रदर्शित करो, तभी उद्धार होगा।*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें