विक्रम संवत...........२०८०
मास................... पौष
पक्ष..................... शुक्ल
तिथि................... द्वादशी
वार...................... सोमवार
राहुकाल...........०८:३३- ०९:५५ तक
दिनांक..............२२-०१-२०२४
🚩 *जय जय श्री राम* 🚩🙏🏽
*जासु बिरहं सोचहु दिन राती।*
*रटहु निरंतर गुन गन पांती।।*
*रघुकुल तिलक सृजन सुखदाता।*
*आयउ कुसल देव मुनि त्राता।।*
भावार्थ:-जिनके विरह में आप
दिन-रात सोच करते (घुलते) रहते हैं और जिनके गुण समूहों की पंक्तियों को आप निरंतर रटते रहते हैं, वे ही रघुकुल के तिलक, सज्जनों को दुःख देने वाले और देवताओं तथा मुनियों के रक्षक श्री रामजी सकुशल आ गए॥
*श्री रामलला के भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित होने के शुभ अवसर महापर्व की अनंत मंगलकामनाएं*🙏🏽🚩
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