*सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषितं च सविधिं आयोग्यमस्य*।
*गूंढं निगूढं औषध्यरूपम च सततं प्रणमामि नित्यं*।।
जिन्होंने निरंतर समस्त रोग दूर किये, जिन्होंने आरोग्य( अच्छे) के विधि बताई, जिन्होंने औषधियों के छुपे स्वरूप को बताया, उन धन्वंतरि भगवान को मै सदैव प्रणाम करता हूं।
*पंच महोत्सव पर्व के शुभागमन पर आप सभी को हार्दिक शुभकामना*।
" *शुभ धनतेरस* "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें