मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

छोटा सा मोहल्ला मेरा

*छोटा सा मोहल्ला मेरा,*
*पूरा बिग बाजार था!*

*एक नाई, एक मोची, एक सुनार,*
*एक कल्लू लुहार था.*

*छोटे छोटे घर थे पर,* 
*हर आदमी बङा दिलदार था.*

*कहीं भी रोटी खा लेते थे,* 
*हर घर मे भोजऩ तैयार था.*

*बड़ी, गट्टे की सब्जी मजे से खाते थे,* 
*जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.*

*ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा...*
*झटपट पापड़, भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था.*

*नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था.*

*रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,*
*दोस्तों पूरा संगीतकार था.*

*मुल्तानी माटी लगा पोखर में नहा लेते,* 
*साबुन और स्विमिंग पूल सब बेकार था.*

*और फिर कबड्डी खेल लेते,*
*हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था.*

*अम्मा से कहानी सुन लेते,*
*कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.*

*भाई-भाई को देख के खुश था,* 
*सभी लोगों मे बहुत प्यार था.*

*छोटा सा मोहल्ला मेरा पूरा बिग बाजार था.

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